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लेखनी प्रतियोगिता -07-Nov-2022


दिल को खुरचती हैं
सब कचोटती यादें
तुमको बुलाती हैं तुमको
छूकर लौटती यादें।

इस वक्त की आंधी में पीछे
न जाने क्या क्या छूट गया
बनकर पतंग उड़ता मैं गया
रिश्तों का धागा टूट गया।

मेरी यादों के बक्से में
तस्वीर तुम्हारी बाकी है
बिन तेरे मेरे जीवन में
जो कुछ भी है नाकाफ़ी है।

तेरी यादोँ के मासूम परिंदे मेरी
मन की दीवार पे हर वक्त चहचहाते हैं
पास जाऊं तो छिटक जाते हैं
दूर जाऊं तो रूठ जाते हैं।





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7 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 05:33 PM

बहुत ही सुन्दर

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Suryansh

08-Nov-2022 10:23 AM

Wahhh बहुत ही खूबसूरत

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Punam verma

08-Nov-2022 09:28 AM

Very nice

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